अक्षर = अविनाशी, क्षय न पानेवाला । कूटस्थ, मूलमें अवस्थित । अविनाशी परमत्मा को अक्षर कहा जाता है । ब्रह्मको कार्यब्रह्म और परब्रह्म मानने से परब्रह्म अक्षरातीत परमात्माके सद-अंश को अक्षरब्रह्म कहा जाता है ।[…]
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अक्षर = अविनाशी, क्षय न पानेवाला । कूटस्थ, मूलमें अवस्थित । अविनाशी परमत्मा को अक्षर कहा जाता है । ब्रह्मको कार्यब्रह्म और परब्रह्म मानने से परब्रह्म अक्षरातीत परमात्माके सद-अंश को अक्षरब्रह्म कहा जाता है ।[…]
अंतरध्यान = अंतर्ध्यान, अदृश्य, छिप जाना, रासलीला के समय कुछ क्षणो के लिए श्रीकृष्ण गोपियों के बीच से अंतर्ध्यान हो गए थे । उस समय गोपियों ने विलाप करते करते उनको वृन्दावन में ढूंढा, पर[…]