Shri Raas Granth : Prakaran 9 : Verse 10 – 19 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ९ : चौपाई १० – १९ तेमां केटलीक सखियो ऊभी रहियो, कांई द्रढ करीने मन । बाई वांक हसे[…]
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17/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 8 : Verse 50 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ८ : चौपाई ५० दई प्रदखिणा अति घणी, साथे कीधां दंडवत परणाम । हवे करसुं रामत रंग तणी, अने भाजसुं हैडानी[…]
16/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 8 : Verse 40 – 49 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ८ : चौपाई ४० – ४९ लाल लसणियां नीलवी गोमादिक, साढ सोलुं कंचन । फूल पांखडियों मणि जवेरनी, मध्य[…]
15/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 8 : Verse 30 – 39 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ८ : चौपाई ३० – ३९ हरवटी सोहे हंसत मुख दीसे, वली जोइए अधुरनो रंग । दंत जाणे दाडिमनी[…]
14/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 8 : Verse 20 – 29 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ८ : चौपाई २० – २९ उतरी जडाव सर बे सोभंती, चुनी राती नीली जुगत । निरखी निरखीने नेत्र[…]
13/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 8 : Verse 10 – 19 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ८ : चौपाई १० – १९ पींडी उपर पायचा, ने झीणी कुरली झलवार । केसरिए रंग सूथणी, इन्द्रावती निरखे[…]
12/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 7 : Verse 12 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ७ : चौपाई १२ रस भर रंग वालाजीसुं रमवा, उछरंग अंग न माय । इन्द्रावती बाई कहे धामना साथने, हुं नमी[…]
11/06/2016 – Meaning of the day
अक्षरातीत = अक्षर से अलग, परब्रह्म, पुरुषोत्तम, उत्तमपुरुष परमसत्य । उनही को श्रीराजजी और श्री कृष्णजी कहा है । वे सच्चिदानन्द स्वरूप हैं । उनके सद-अंश से अक्षर, चिद अंश से वे खुद तथा आनंद[…]
11/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 7 : Verse 2 – 11 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ७ : चौपाई २ – ११ सोभा सागर साथ तणी, सखी केणी पेरे ए वरणवाय । हुं रे अबूझ[…]
10/06/2016 – Meaning of the day
अक्षर के दो चश्में = अक्षर की दो द्रष्टि । अर्थात दो सुरताएँ । एक खेल देखने की दूसरी विलास की । Akshar ki do drishti = Two visions of Akshar. Meaning two forms. One[…]
10/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 6 : Verse 63 – 71 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ६ : चौपाई ६३ – ७१ पांच रंगना पांचे फुमक, सोहे मूल वेणने बंध । गोफणडे फुमक जे दीसे,[…]
09/06/2016 – Meaning of the day
अक्षर = अविनाशी, क्षय न पानेवाला । कूटस्थ, मूलमें अवस्थित । अविनाशी परमत्मा को अक्षर कहा जाता है । ब्रह्मको कार्यब्रह्म और परब्रह्म मानने से परब्रह्म अक्षरातीत परमात्माके सद-अंश को अक्षरब्रह्म कहा जाता है ।[…]
09/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 6 : Verse 53 – 62 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ६ : चौपाई ५३ – ६२ नासिका वेसर लाल मोती लटके, आंखडिए अंजन सोहे । पांपण चलवे ने पीउजीने[…]
08/06/2016 – Meaning of the day
अक्रूर = वसुदेव का भाई, श्रीकृष्ण के चाचा । कंस की सलाह से श्रीकृष्ण और बलराम को धनुष यज्ञ के लिए आमंत्रण देकर उनको गोकुल से मथुरा ले गए थे । उनको डर था के[…]
08/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 6 : Verse 43 – 52 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ६ : चौपाई ४३ – ५२ बे वीटी ने हीरा मोती, बीजी बे रंग बे रतन । पांच रंगनी[…]
07/06/2016 – Meaning of the day
अक्सी भिस्त = प्रतिबिंबित स्वर्ग । जिन जीवसृष्टि पर ब्रह्मसृष्टि कि सुरता बैठकर यह संसार का खेल देख रही है उन जीवसृष्टि के लिए सुनिष्चित अंखड मुक्ति स्थल । जो सतस्वरूप के निर्मल चैतन्य में[…]
07/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 6 : Verse 33 – 42 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ६ : चौपाई ३३ – ४२ हेम तणो हार जुई रे जुगतनो, नव सर नव पाटली । जडाव हीरा[…]
06/06/2016 – Meaning of the day
अकस = अक्स, प्रतिबिंब, परछाई। श्रीप्राणनाथजीने अखंड मुक्तिअस्थलके सुखों को परमधामके सुखों के प्रतिबिंब समान माना है। Akas = Aks, reflection, shadow. Shri Prannathji has considered the pleasures of the eternal place of liberation (Muktisthal)[…]
06/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 6 : Verse 23 – 32 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ६ : चौपाई २३ – ३२ सोभा तो घणीए सोहामणी, जो द्रढ करी जोइए मन । झीणां वस्तर ने[…]
05/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 6 : Verse 13 – 22 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ६ : चौपाई १३ – २२ वस्तर केणी पेरे वरणवुं, एतां साएर अति सरूप । मारा जीवनी खेवना भाजवा,[…]
05/06/2016 – Meaning of the day
अंत्रीख = अंतरिक्ष, शुन्य मंडल. महामति कहते है कि, पाँच तत्वों से बना हुआ यह ब्रह्मांड किसी भी आधार के बिना किस तरह लटक रहा है? आत्मा को जागृत करके यह शंका का निवारण करना[…]
04/06/2016 – Meaning of the day
अंतरध्यान = अंतर्ध्यान, अदृश्य, छिप जाना, रासलीला के समय कुछ क्षणो के लिए श्रीकृष्ण गोपियों के बीच से अंतर्ध्यान हो गए थे । उस समय गोपियों ने विलाप करते करते उनको वृन्दावन में ढूंढा, पर[…]
04/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 6 : Verse 3 – 12 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ६ : चौपाई ३ – १२ चरण अंगूठा अति भला, पासे कोमल आंगलियो सार । रंग तो अति रलियामणो[…]
03/06/2016 – Meaning of the day
अंजिल = अंजिर, इंजिल, बाईबल, इसा मसिह द्वारा रचाया हुआ ग्रन्थ । उसमें नये तथा पुराने दोनो पुस्तकों क समावेश है । महामति श्रीप्राणनाथजीने “रास ग्रन्थ” को “अंजिल” वानी की उपमा दी है । बाईबल[…]
03/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 5 : Verse 24 – 31 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ५ : चौपाई २४ – ३१ धिक धिक पडो रे आ संसारने, कां न उठे रे अगिन । व्रह[…]
02/06/2016 – Meaning of the day
अंगद = वानर राज वाली का पुत्र था । उन्होने लंका के युध्द में सुग्रीवकी सेनाका नेतृत्व किया था । वो रावण के दरबार में दूत बनकर गये थे । उस समय कोई भी उन्का[…]
02/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 5 : Verse 14 – 23 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ५ : चौपाई १४ – २३ माता पिता पत सासु ससरो, रोंवता न सुणियां रे बाल । वायने वेगे[…]
01/06/2016 – Meaning of the day
अंकूर = अंकुर, संबंध, सुरता, प्रस्फुटन, संसारमें ब्रह्म का अंश । परमधामसे ब्रह्मसृष्टिकी सुरता संसार में आई, उनमें परमधाम का अंकुर है । Ankoor = Sprout, relation, soul, eruption, subtle particle of Brahm in the[…]
Introduction to meaning of the day segment
Pranam! With the grace of Rajji & the blessings of my Guruji I am announcing a new segment which will be updated daily. It brings me a lot of joy to start such a new[…]
01/06/2016 – 10 Verses from Tartam Sagar Granth
Shri Raas Granth : Prakaran 5 : Verse 4 – 13 श्री रास ग्रन्थ : प्रकरण ५ : चौपाई ४ – १३ सरद निसा रे पूनम तणी, आव्यो ते आसो रे मास । सकल कलानो[…]